Explainer- आर्मेनिया जैसा छोटा देश कैसे बन गया भारत का सबसे बड़ा आर्म्स इम्पोर्टर?

What The Tiny Nation of Armenia Wants: यूरोप का एक छोटा सा देश आर्मेनिया अब भारत का सबसे बड़ा हथियार आयातक (Arms Importer) बन गया है. दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के कारण, भारत का रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक के उच्चतम स्

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What The Tiny Nation of Armenia Wants: यूरोप का एक छोटा सा देश आर्मेनिया अब भारत का सबसे बड़ा हथियार आयातक (Arms Importer) बन गया है. दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के कारण, भारत का रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. यह लगभग 21,083 करोड़ रुपये (लगभग 2.63 बिलियन डॉलर) है. बीते साल यानी 2022-23 की तुलना में यह 32.5 प्रतिशत अधिक है.

वित्त मंत्रालय ने बताया आर्मेनिया और भारत के बीच रक्षा सौदे का ब्योरा

वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम और आकाश एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम के सौदे के बाद आर्मेनिया भारत से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत तक आर्मेनिया द्वारा भारत से हथियारों की कुल खरीद 600 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई है.

आर्मेनिया ने कैसे कम की रूस पर अपनी हथियार आयात निर्भरता?

आर्मेनिया लंबे समय से हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर रहा है. साल 2011 से 2020 के बीच आर्मेनिया ने अपने कुल हथियारों का 94 प्रतिशत रूस से आयात किया. इसमें इस्कंदर मिसाइल सिस्टम, Su-30SM फाइटर जेट, एयर डिफेंस सिस्टम और मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर जैसी उन्नत प्रणालियां शामिल थीं. एक तरह से रूस दशकों तक आर्मेनिया की सैन्य क्षमता की रीढ़ रहा है. हालांकि, 2020 में अजरबैजान के साथ नागोर्नो-कराबाख युद्ध के बाद आर्मेनिया का रूस पर भरोसा कम होने लगा.

नागोर्नो-कराबाख युद्ध के बाद रूस पर कम हुआ आर्मेनिया का भरोसा

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रूस ने युद्ध में आर्मेनिया की उस तरह से मदद नहीं की जिसकी उसे उम्मीद थी. तब आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने रूस का नाम लिए बिना सार्वजनिक रूप से कहा था, “पिछले दो सालों में अनुबंध होने के बावजूद हमारे सहयोगी आर्मेनिया को हथियार देने में विफल रहे हैं…” तब से, पाशिनयान ने मास्को के प्रति ठंडा रवैया अपनाया है.

2020 में शुरू हुई भारत और आर्मेनिया के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी

इसके बाद, आर्मेनिया ने अपनी रक्षा जरूरतों के लिए वैकल्पिक भागीदारों की तलाश शुरू कर दी और भारत की ओर रुख किया. भारत और आर्मेनिया के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी 2020 में शुरू हुई. आर्मेनिया ने उस समय भारत के साथ दो बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे किए. इससे दोनों देशों के बीच संबंध साल दर साल मजबूत होते गए. आर्मेनिया अपने पड़ोसियों, खासकर अजरबैजान से खतरे को देखते हुए भारत से उन्नत हथियार खरीद रहा है.

भारत से कौन-कौन से प्रमुख हथियार खरीदता है आर्मेनिया?

पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम: अपनी रेंज और सटीक वार के लिए मशहूर पिनाका सिस्टम आर्मेनिया की तोपखाने की क्षमताओं को प्रभावी ढंग से बढ़ाएगा, जिससे आर्मेनिया को नागोर्नो-कराबाख जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में रणनीतिक बढ़त मिलेगी.

आकाश-1एस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम: आर्मेनिया ने 2022 में 15 आकाश-1एस सिस्टम के लिए 720 मिलियन डॉलर का ऑर्डर दिया है. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित इस एयर डिफेंस सिस्टम की यह पहली अंतरराष्ट्रीय बिक्री थी, जिसे इसी साल डिलीवर किया जाना है. आकाश-1एस आर्मेनिया को लड़ाकू विमान, गाइडेड मिसाइल और ड्रोन जैसे हवाई खतरों से प्रभावी ढंग से खुद का बचाव करने में सक्षम बनाएगा.

डोर्नियर-228 निगरानी विमान: डोर्नियर-228 विमानों की आपूर्ति से आर्मेनिया की टोही और निगरानी क्षमताएं बढ़ेंगी. इससे वह अपने हवाई क्षेत्र की अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी और नियंत्रण कर सकेगा.

दूसरे महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर: भारत ने आर्मेनिया को एंटी-टैंक गाइडेड रॉकेट, बुलेट-प्रूफ जैकेट, नाइट-विज़न गॉगल्स, आर्टिलरी और गोला-बारूद, छोटे हथियार और उन्नत हथियार-पता लगाने वाले रडार भी दिए हैं. ये सिस्टम सामूहिक रूप से आर्मेनिया को अधिक आधुनिक रक्षा प्रणाली प्रदान करते हैं.

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अज़रबैजान, पाकिस्तान और तुर्की के प्रभाव के संतुलन की जरूरत

आर्मेनिया को हथियार बेचकर, भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है, बल्कि दोनों देशों की साझेदारी एक व्यापक भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है जिसका मकसद दक्षिण काकेशस में अपना प्रभाव बढ़ाना और पाकिस्तान और तुर्की के प्रभाव को संतुलित करना है. इन दोनों देशों के अज़रबैजान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.

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आर्मेनिया और ईरान के साथ त्रिपक्षीय वार्ता में भी सक्रिय रहा है भारत

साल 2020 के नागोर्नो-कराबाख युद्ध के दौरान, पाकिस्तान ने अज़रबैजान का खुलकर समर्थन किया, जो अज़रबैजान, तुर्की और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ त्रिपक्षीय गठबंधन का संकेत देता है. इस तरह, आर्मेनिया के साथ भारत की साझेदारी इस गठबंधन के लिए एक स्वाभाविक संतुलन का काम करती है. साथ ही भारत को आर्मेनिया के सुरक्षा हितों का एक प्रमुख समर्थक देश बनाती है. आर्मेनिया और ईरान के साथ त्रिपक्षीय वार्ता में भी भारत सक्रिय रहा है.

इसके अलावा, भारत ने आर्मेनिया और फ्रांस के साथ भी रणनीतिक तालमेल विकसित किया है. आर्मेनिया के साथ भारत के रक्षा सौदे दोनों देशों के लिए अलग-अलग तरह से फायदेमंद साबित हो रहे हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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